Saturday 4 April 2015

मुफ़लिस की मौंत हो गयी रोटी की कमीं से......

हर रोज नये ख़्वाब तुम पलकों पे सजाना
प्यार ज़िंदगी का है अनमोल ख़जाना।

निकलते हुये खुशबू से, फूलों नें ये कहा
फिज़ाओं में घुलकर मेरी पहचान बना जाना।

बारिश का कहर,और टपकते हुये कुछ घर
रईस कह रहा है कि, मौंसम है सुहाना।

मुफ़लिस की मौंत हो गयी रोटी की कमीं से
हुकूमत बता रही है तरक्की का फ़साना।

प्यार में मरनें की कसम खानें से बेहतर
प्यार जो करते हो, तो ताउम्र निभाना।

इंतज़ार में बैठा हूँ, मेरा हक़ तो मिलेगा
आता नहीं है यार मुझे शोर मचाना।

"राजेश"मेरी रात भी ग़मग़ीन बहुत है
उम्मीदे-सहर में कोई आवाज़ लगाना।

..........राजेश कुमार राय।.........