तूफ़ान हँस रहा है कश्ती के हाल पर
कश्ती को भरोसा है समंदर की चाल पर।
चिड़िया चहक रही है पेड़ों की डाल पर
एक शेर लिख दिया है तसव्वुर के गाल पर।
बेटी परायी हो गयी इक रूख़सती के बाद
आँसू तड़प के गिर पड़े मेरे रूमाल पर।
वो आग बरसता है तो पानी भी बरसता है
हम सब को भरोसा है खुद़ा के कमाल पर।
हाँलाकि हकिक़त थी, जुबाँ से निकल गयी
अब कुछ नहीं कहना मुझे उसके मलाल पर।
हरगिज़ न फँसेंगे, था परिन्दों का फैसला
हैरान रह गया था शिकारी भी जाल पर।
सरहद से जंग जीतकर लौटेगें ये जवान
फक्र है इस देश को माटी के लाल पर।
--------राजेश कुमार राय।--------